Odisha News,लोकसभा चुनाव 2024 ने परिवारों में डाली ‘दरार’, ओडिशा में 3 दिग्गजों के बेटों ने पकड़ी अलग राह, मुसीबत में पिता – lok sabha election 2024 divide families as fathers sons take different political routes in odisha

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भुवनेश्वर: ओडिशा में राजनीति में इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। यहां के तीन मंझे हुए नेता अपने ही घर में बगावत का सामना कर रहे हैं। इन नेताओं के बेटों ने प्रतिद्वंद्वी दलों के टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोक दी है। इनमें कांग्रेस नेता सुरेश राउत्रे और चिंतामणि ज्ञान समांतराय और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बिजय महापात्र सामिल हैं। तीनों के बेटे इस बार पिता की प्रतिद्वंदी पार्टी से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और निवर्तमान विधानसभा में जतानी से विधायक सुरेश राउत्रे को कांग्रेस ने नोटिस भी दिया है। प्रतिद्वंद्वी बीजू जनता दल (बीजेडी) के टिकट से भुवनेश्वर लोकसभा सीट से लड़ रहे बेटे मनमथ राउत्रे के लिए चुनाव प्रचार करने का उनके ऊपर आरोप है। ओडिशा कांग्रेस प्रदेश कमेटी (ओपीसीसी) ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

कांग्रेस से छह बार के विधायक राउत्रे (80) ने इस बार चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है। उन्हें राज्य की राजधानी के विभिन्न स्थानों में अपने बेटे मनमथ के लिए प्रचार करते हुए देखा गया है।

बेटे के लिए सजा भुगतने को तैयार

सुरेश राउत्रे ने कहा, ‘मैंने किसी से अपने बेटे के पक्ष में मतदान करने करने के लिए नहीं कहा है, लेकिन जब लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि क्या उन्हें मेरे बेटे के पक्ष में मतदान करना चाहिए, तो मैं उन्हें हां कह रहा हूं।’ उन्होंने कहा, ‘हां, मैंने लोगों से कहा है कि वे मेरे बेटे को वोट दें क्योंकि वे मुझसे पूछते हैं कि क्या करना है। अगर एआईसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) या पीसीसी मुझे सजा देना चाहती है तो मैं इसे स्वीकार करूंगा। लेकिन मैं मरते दम तक कांग्रेसी ही रहूंगा।’ राउत्रे ने कहा कि वह हमेशा सिद्धांतवादी रहे हैं।

बेटे ही प्रतिद्वंदी प्रत्याशी

ओडिशा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और गंजम जिले से वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता चिंतामणि ज्ञान सामंतराय के लिए स्थिति थोड़ी और मुश्किल है। उनके दोनों बेटे चुनावी मैदान में है जिनमें से एक कांग्रेस से जबकि दूसरा भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार है। वह असमंजस में हैं क्योंकि उन्हें नहीं पता कि किसे वोट दें क्योंकि उनके बेटे मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं। विपक्षी भाजपा ने चिकिटी विधानसभा क्षेत्र से चिंतामणि के छोटे बेटे मनोरंजन ज्ञान सामंतराय को प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस ने उनके बड़े बेटे रविंद्रनाथ ज्ञान सामंतराय को इसी सीट से मैदान में उतारा है।

सामंतराय बंधु कौन

चिंतामणि ज्ञान सामंतराय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और चिकिटी विधानसभा सीट से तीन बार चुने जा चुके हैं। वह दो बार निर्दलीय (1980 और 1995) और एक बार कांग्रेस के टिकट पर (1985) विधानसभा चुनाव जीते। मनोरंजन सामंतराय ने दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा। उन्होंने पहली बार 2014 में कांग्रेस के टिकट पर जबकि दूसरी बार 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। उनके बड़े भाई इस साल पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।

‘दो भाइयों नहीं, विचारधारा की लड़ाई’

रविंद्रनाथ ने कहा, ‘मैं अपने पिता के दौर से ही कांग्रेस में सक्रिय रहा हूं। इसका नतीजा है कि मुझे पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिला है। यह लड़ाई दो विचारधाराओं की है न कि दो भाइयों की।’ मनोरंजन ने दावा किया कि वह कई साल से राजनीति में सक्रिय हैं और भाजपा की ओर से चुनाव लड़ने का टिकट मिला है। उन्होंने कहा, ‘कुछ निहित स्वार्थों ने परिवार में अशांति पैदा करने के लिए मेरे भाई को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए उकसाया होगा। हालांकि, इसका मेरी चुनावी संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’

पिता ने बनाई बेटों के प्रचार से दूरी

चिंतामणि ज्ञान सामंतराय ने कहा कि वह खराब स्वास्थ्य के कारण किसी भी बेटे के लिए प्रचार नहीं करेंगे। हालांकि, 84 वर्षीय नेता ने कहा कि वह कांग्रेसी हैं और भाजपा की नीतियों का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा, ‘मेरे छोटे बेटे का भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला उसका अपना फैसला है। एक पिता के रूप में, मैं उस पर अपना फैसला नहीं थोप सकता।’

पिता रहे नवीन पटनायक के विरोधी, बेटा BJD प्रत्याशी

केंद्रपाड़ा में भाजपा के वयोवृद्ध नेता और पूर्व मंत्री बिजय महापात्र भी मुश्किल में हैं। वह लंबे समय से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के राजनीतिक विरोधी रहे हैं।
महापात्र के बेटे अरविंद महापात्र ने बीजेडी के टिकट पर पत्कुरा विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया है। बिजय भाजपा में सक्रिय नहीं हैं लेकिन केंद्र में सत्तारूढ़ और राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी के अब भी प्राथमिक सदस्य हैं और पिछला विधानसभा चुनाव पत्कुरा से ही लड़ा था। इस बार उनका बेटा बीजद से इस सीट पर उम्मीदवार है। बिजय ने हालांकि बेटे को बीजद में शामिल होने पर आशीर्वाद दिया था।

महापात्र दो दशक से बीजेडी का विरोध कर रहे हैं और इस बार उनका अपना बेटा उसी पार्टी से उम्मीदवार है और ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने राज्य में सत्तारूढ़ दल के प्रति अपना रुख नरम किया है। कालापाड़ा में बैठक के दौरान महापात्र ने अपने बेटे का समर्थन किया। बीजेपी की केंद्रपाड़ा जिला इकाई के अध्यक्ष किशोर पांडा ने कहा, ‘मैंने बिजय की गतिविधियों से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनमोहन सामल को अवगत करा दिया है। पार्टी जल्द ही उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करेगी।’ वरिष्ठ नेता बैद्यनाथ चटर्जी ने कहा कि बीजद उम्मीदवार के लिए प्रचार करना अवैध है भले ही वह उनका बेटा क्यों न हो क्योंकि वह अब भी भाजपा के सदस्य हैं।

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